इस आर्टिकल में हम पढेंगे कि व्यंजन किसे कहते हैं? जैसा की हम सभी जानते हैं कि किसी भी भाषा को पढने के लिए ज़रूरी है कि सबसे पहले उसके वर्णमाला को समझा जाए। हिन्दी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण होते हैं, जिसे दो भाग स्वर और व्यंजन में बाटा गया है। तो आज हम वर्णमाला के दुसरे भाग के बारे में पढेंगे और जानेंगे की व्यंजन किसे कहते हैं? और व्यंजन के कितने भेद होते हैं?
व्यंजन किसे कहते हैं?
आम भाषा में क से गया ज्ञ तक के वर्णों को व्यंजन कहते हैं। जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी दुसरे वर्णों के नहीं हो सकता उन्हें व्यंजन कहते हैं। अर्थात स्वर की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन कहलाते हैं। वैसे तो व्यंजनों की संख्या 33 ही होती है। लेकिन 2 द्विगुण व्यंजन और 4 संयुक्त व्यंजन मिलाने के बाद व्यंजनों की संख्या 39 हो जाती है।
व्यंजन के कितने भेद होते हैं?
मुख्य रूप से व्यंजन 3 प्रकार के होते हैं-
- स्पर्शी व्यंजन
- अन्तःस्थ व्यंजन
- उष्म / संघर्षी व्यंजन
इनके अलावां भी व्यंजन दो और प्रकार के होते हैं।
- द्विगुण / उत्क्षिप्त व्यंजन
- सयुक्त व्यंजन
स्पर्शी व्यंजन
जिन वर्णों के उच्चारण में मुख किसी विशेष स्थान जैसे- (कंठ, तालु, मूर्धा, दांत और होठ) आदि से स्पर्श होता है तो उसे स्पर्शी व्यंजन कहते हैं। यह क से म तक होते हैं, इनकी संख्या 25 होती है, जिन्हें 5 वर्गों में बाटा गया है।
क वर्ग- क ख ग घ ङ (कंठ)
च वर्ग- च छ ज झ ञ (तालु)
ट वर्ग- ट ठ ड ढ ण (मूर्धा)
त वर्ग- त थ द ध न (दांत)
प वर्ग- प फ ब भ म (होठ)
अन्तःस्थ व्यंजन
जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों और व्यंजनों के बीच स्थित हो उसे अन्तःस्थ व्यंजन कहते हैं। यह 4 होते हैं। -य र ल व
उष्म व्यंजन
जिन व्यंजनों के उच्चारण में वायु मुख में किसी स्थान पर घर्षण खा कर ऊष्मा पैदा करती है, उन्हें उष्म व्यंजन कहते है। यह भी 4 होते हैं-श, ष, स, ह
द्विगुण व्यंजन
जिनके उच्चारण में जीभ उपर उठकर मूर्धा को स्पर्श करके तुरंत नीचे आ जाए, द्विगुण व्यंजन कहलाते हैं। यह दो होते हैं-ड़ और ढ
सयुक्त व्यंजन
दो व्यंजनों से मिलकर बने व्यंजन को संयुक्त व्यंजन कहते हैं। इनकी संख्या 4 होती है। जैसे-क्ष, त्र, ज्ञ, श्र
लेख के बारे में-
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Bahut Badhiya…!
Thanks Kaushal, Thank for Your Valuable Comments
Bhai aise aur Hindi ke notes mileage kya
Jarur Sir
Well done 👍
Thank You Ravi Kumar Pandey,