व्यंजन संधि किसे कहते हैं? व्यंजन संधि के उदाहरण और 7 नियम

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि संधि तीन प्रक्रार के होते हैं, जिसमे से हम स्वर संधि के बारे में पहले ही पढ़ चुके हैं। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि व्यंजन संधि किसे कहते हैं? और साथ ही व्यंजन संधि के उदाहरण भी देखेंगे।

व्यंजन संधि किसे कहते हैं

व्यंजन संधि किसे कहते हैं

जब किसी व्यंजन के पश्चात् कोई व्यंजन अथवा स्वर आ जाए तो इससे उत्पन्न विकार को व्यंजन संधि कहते हैं। अर्थात व्यंजन से व्यंजन तथा व्यंजन से स्वर के मेल से उत्पन्न विकार को व्यंजन संधि कहते हैं। जैसे

  • वाक् + ईश = वागीश          (क् + ई = गी)
  • सत् + भावना = सद्भावना    (त् + भ = द्)
  • अहम् + कार = अहंकार      (म् + क = ड़्)

व्यंजन संधि के नियम

व्यंजन संधि को कुछ मुख्य नियमों में बाटा गया है, जो निम्न लिखित है।

नियम-1 :-

किसी वर्ग के पहले वर्ण (क् च् ट् त् प) का मेल किसी स्वर अथवा किसी वर्ग के तीसरे वर्ण (ग ज ड द ब) या चौथे वर्ण (घ झ ढ ध भ) अथवा अंतःस्थ व्यंजन (य र ल व) के किसी वर्ण से होने पर वर्ग का पहला वर्ण अपने ही वर्ग के तीसरे वर्ण (ग् ज् इ दु ब) में परिवर्तित हो जाता है। जैसे

  • दिक् + अंत = दिगंत          (क् + अ = ग)
  • सत् + भावना = सद्भावना   (त् + भ = द)
  • अच् + आदि = आजादी      (च् + आ = ज)
  • अप् + ज = अब्ज                (प् + ज = ब)
  • षट् + आनन = षडानन       (ट् + आ = ड)

नियम-2 :-

यदि “क्, च्, ट्, त्, प्” के बाद न् या म् के मेल अपने वर्ग के पंचम वर्ण में रूपान्तरित हो जाता है। जैसे

  • वाक् + मय = वाङ्मय          (क् + म = ङ्)
  • चित् + मय = चिन्मय          (त् + म = न्)
  • जगत् + नाथ = जगन्नाथ      (त् + न = न्)
  • तत् + मय = तन्मय             (त् + म = न्)
  • षट् + मुख = षण्मुख           (ट् + म = ण्)

नियम-3 :-

जब त् या ट् के बाद यदि च् या फ् हो तो त् या ट् के बदले च् हो जाता है। ज या झ हो तो हो जाता है। ट् या ठू हो तो ट् हो जाता है। ड् या ढ् हो तो ड तथा ल् हो तो हो जाता है। जैसे

  • उत् + चारण = उच्चारण        (त् + च = च)
  • सत् + जन = सज्जन              (त् + ज = ज)
  • उत् + डयन = उड्डयन           (त् + ड = ड)
  • उत् + लास = उल्लास           (त् + ल = ल)

नियम-4 :-

म् के बाद यदि कोई स्पर्श व्यंजन वर्ण आये तो म का अनुस्वार तथा बाद वाले वर्ण का रूपान्तरण स्पर्श व्यंजन के वर्ग का पंचम वर्ण हो जाता है। जैसे

  • अहम् + कार = अहंकार   ( म् + क = ड़्)
  • सम् + गम = संगम            (म् + ग = ड़्)
  • किम् + चित = किंचित      ( म् + च = ञ्)

नियम-5 :-

त वर्ग का च वर्ग से योग में च वर्ग तथा त वर्ग के ष्कार से योग में ट वर्ग हो जाता है। जैसे

  • महत् + छत्र = महच्छत्र       (त् + छ = छ)
  • द्रष् + ता = द्रष्टा                  (ष् + त् = ट)

नियम-6 :-

किसी वर्ग के अन्तिम वर्ण को छोड़कर शेष वर्णों के साथ ‘ह’ का मेल होता है तो ह उस वर्ग का चतुर्थ वर्ण हो जाता है, तथा ह के साथ वाला वर्ण अपने वर्ग का तीसरा वर्ण हो जाता है। जैसे

  • उत् + हत = उद्धत               (त् + ह = ध्)
  • उत् +हार = उद्धार               (त् + ह = ध्)

नियम-7 :-

जब ह्रस्व  अथवा दीर्घ स्वर के बाद ‘छ’ हो तो ‘छ’ के पहले ‘‘ जुड़ जाता है। जैसे

  • अनु + छेद = अनुच्छेद
  • परि + छेद = परिच्छेद
  • शाला + छादन = शालाच्छादन

लेख के बारे में-

इस आर्टिकल में हमने पढ़ा कि व्यंजन संधि किसे कहते हैं? और साथ ही व्यंजन संधि के उदाहरण भी देखें। इससे पहले हम मात्रालिंग और वचन आदि पढ़ चुके हैं। इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय हमें टिप्पणी करें। यदि आप किसी और टॉपिक के बारे में जानना चाहे हैं तो हमें [email protected] पर मेल करें।

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