संधि हिन्दी व्याकरण का मुख्य भाग होता है, इसे वर्ण विचार के अंतर्गत पढ़ा जाता है। बहुत सारी प्रतियोगी परीक्षाओं में संधि पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं, इसलिए आज इस आर्टिकल में हम पढेंगे कि संधि किसे कहते हैं और ये कितने प्रकार के होते हैं?
संधि किसे कहते हैं – Sandhi kise kahate hain
जब दो समीपवर्ती वर्णों के मेल से विकार उत्पन्न होता है, उसे संधि कहते हैं। दुसरे शब्दों में इसे यह भी कहा जा सकता है कि दो वर्णों के मेल के फलस्वरूप होने वाले परिवर्तन को संधि कहतें हैं। जैसे-
विद्या + आलय = विद्यालय
स्व + अर्थी = स्वार्थी
महा + आत्मा = महात्मा
संधि विच्छेद किसे कहते हैं
किसी सन्धि शब्द का पृथक्-पृथक् विभाजन करने की प्रक्रिया को सन्धि-विच्छेद कहलाती हैं। अर्थात संधि के नियमों द्वारा मिले वर्णों को फिर मूल अवस्था में ले आने को संधि-विच्छेद कहते हैं। जैसे –
आशीर्वाद = आशीः + वाद
अत्याचार = अति + आचार
पीताम्बर = पिता + अम्बर
संधि के भेद
वर्ण के आधार पर संधि 3 प्रकार के होते हैं।
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विसर्ग संधि
1. स्वर संधि –
स्वर के बाद स्वर अर्थात् दो स्वरों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं | जैसे-
रेखा + अंश = रेखांश
सत् + आनंद = सदानंद
स्वर संधि मुख्य पाँच प्रकार के होते हैं-
- दीर्घ संधि
- गुण संधि
- वृद्धि संधि
- यण संधि
- अयादी संधि
2. व्यंजन संधि –
जब किसी व्यंजन के पश्चात् कोई व्यंजन अथवा स्वर आ जाए तो इससे उत्पन्न विकार को व्यंजन संधि कहते हैं। जैसे-
सत्य + जन = सज्जन
उत् + हार = उद्धार
3. विसर्ग संधि –
विसर्ग के बाद स्वर अथवा व्यंजन में जो विकार उत्पन्न होता है, उसे विसर्ग-संधि कहते हैं। जैसे-
निः + चल = निश्चल
मनः + भाव = मनोभाव
निः + रोग = निरोग
यशः + दा = यशोदा
लेख के बारे में-
इस आर्टिकल में हमने जाना है कि, संधि किसे कहते हैं और संधि कितने प्रकार के होते हैं। हिंदी व्याकरण से जुडी पोस्ट पढ़ते रहने के लिए हमें टेलीग्राम पर फॉलो करें, तथा ताजा अपडेट के लिए बाएं साइड के बेल आइकॉन को सब्सक्राइब करें।
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