प्रिय पाठक! स्वागत है आपका the eNotes के नए आर्टिकल में, इस आर्टिकल में हम वचन के बारे में पढेंगे और जानेंगे की (vachan kise kahate hain) , हिन्दी व्याकरण में वचन का अर्थ संख्या से होता है। इस आर्टिकल से पहले हम संज्ञा और लिंग के बारे में पढ़ चुके हैं। तो चलिए विस्तार से जानते हैं कि Vachan kise kahate hain-

वचन | Vachan kise kahate hain
परिभाषा- जिन शब्दों से किसी व्यक्ति या वस्तु की संख्या का बोध होता है, उन्हें वचन कहा जाता है। अर्थात हिन्दी में संज्ञा शब्द के जिस रूप से किसी वस्तु के एक या अनेक होने का बोध होता हो, उसे वचन कहते हैं।
जैसे-बंदर पेड़ पर बैठा है और चिड़ियाँ दाना चुग रहीं हैं। उपर्युक्त उदाहरण से ये स्पष्ट हो रहा है कि पेड़ पर अकेला बंदर बैठा हुआ है और कई सारी चिड़ियाँ दाना चुग रही है अर्थात यहाँ बंदर शब्द से एक तथा चिड़ियाँ शब्द से अनेक होने का ज्ञान हो रहा है।
वचन के प्रकार | Vachan ke prakar
हिन्दी व्याकरण में वचन दो प्रकार के होते हैं, तथा संस्कृत व्याकरण में वचन 3 प्रकार के होते हैं।
एकवचन | Ek-Vachan kise kahate hain
जिन संज्ञा शब्दों के द्वारा एक वस्तु अथवा प्राणी के होने का बोध हो, उन्हें एकवचन कहते हैं, जैसे-लड़का, पुस्तक, इमारत, कुर्सी, कुत्ता, खिड़की आदि।
बहुवचन |Bahu-Vachan kise kahate hain
जिन संज्ञा शब्दों के द्वारा एक से अधिक वस्तुओं अथवा प्राणियों का बोध हो, उन्हें बहुवचन कहते हैं, जैसे-लड़के, पुस्तकें, इमारतें, कुर्सियाँ, कुत्ते, खिड़कियाँ आदि।
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वचन की पहचान
1. संज्ञा और सर्वनाम शब्दों से भी एकवचन बहुवचन का पता चल जाता है; जैसे
- मुर्गा दाना खाता है। -मुर्गे दाना खाते हैं।
- गुब्बारा लाल रंग का है। -गुब्बारे लाल रंग के हैं।
- वह जाता है। -वे जाते हैं।
- गाय घास खा रही है। गायें घास खा रही हैं।
2. क्रियाबोधक शब्दों से भी वचन का बोध होता है; जैसे
- मोर नाच रहा है। -मोर नाच रहे हैं।
- पक्षी उड़ रहा है। -पक्षी उड़ रहे हैं।
- हिरन चर रहा है। -हिरन चर रहे हैं।
- बालक खेल रहा है। बालक खेल रहे हैं।
3. एकवचन के स्थान पर बहुवचन का प्रयोग
(i) आदरसूचक संज्ञा या सर्वनाम के साथ बहुवचन का प्रयोग होता है; जैसे-
- दादा जी जा रहे हैं।
- माता जी खाना बना रही हैं।
- गुरु जी पढ़ा रहे हैं।
(ii) बड़प्पन दिखाने के लिए ‘मैं’ की जगह ‘हम’ और ‘वह’ की जगह ‘वे’ का प्रयोग होता है। जैसे-
- माता जी ने कहा-आज हम पंचतंत्र की कहानी सुनाएँगे।
- बाबा ने कहा-वे प्रातः प्रवचन प्रारंभ करेंगे।
4. कुछ शब्दों का प्रयोग सदा एकवचन में ही होता है;
जैसे-सत्य, जाति, वर्ग, दल, वृंद, गण, समूह, जनता आदि।
5. कुछ शब्दों का प्रयोग सदा बहुवचन में ही होता है; जैसे
केश, आँसू, होश, प्राण, लोग, समाचार, घी, दाम, भाग्य, दर्शक, दर्शन, श्रोता आदि
वचन परिवर्तन के नियम
पुल्लिंग आकारान्त शब्दों के अन्त में ‘आ’ का ‘ए’ हो जाता है। जैसे-
- सपना-सपने
- पंखा-पंखे
- लड़का-लड़के
- केला-केले
- तोता-तोते
- गधा-गधे
- कुरता-कुरते
- लोटा-लोटे
- बच्चा-बच्चे
- गन्ना-गन्ने
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पुल्लिंग सम्बन्धियों के लिए प्रयोग होने वाले कुछ आकारान्त शब्दों में ‘आ’ का ‘ए’ हो जाता है। जैसे-
- साला-साले
- पोता-पोते
- भतीजा-भतीजे
- धेवता-धेवते
- भांजा-भांजे
- बेटा-बेटे
नोट 1- संस्कृत के आकारान्त शब्द; जैसे-नेता, पिता, देवता, राजा, कर्त्ता आदि बहुवचन में नहीं बदलते।
नोट 2- अधिकतर सम्बन्धसूचक शब्द भी अपना रूप नहीं बदलते; जैसे-दादा, मौसा, नाना, चाचा, आदि।
पुल्लिंग आकारान्त शब्दों को छोड़कर अन्य शब्द बहुवचन बनने पर अपना रूप नहीं बदलते। जैसे-
- गुरु-गुरु
- वचन-वचन
- कमल-कमल
- माली-माली
कुछ पुल्लिंग शब्दों में, जन गण, वर्ग, वृंद जोड़कर बहुवचन बनते हैं। जैसे-
- पाठक-पाठकवृंद
- मित्र-मित्रगण
- छात्र-छात्रवर्ग
- ऋषि-ऋषिगण
- अध्यापक-अध्यापकगण
- गुरु-गुरुजन
- मजदूर-मजदूर वर्ग
- प्रजा-प्रजाजन
- बाल-बालवृंद
यदि स्त्रीलिंग शब्द के अन्त में ‘अ’ है तो उसे ‘ए’ कर देते हैं, जैसे-
- खबर-ख़बरें
- कार-कारें
- दुकान-दुकानें
- लहर-लहरें
- दीवार-दीवारें
- चीज-चीजें

यदि स्त्रीलिंग शब्द आकारान्त, उकारान्त या ऊकारान्त हों तो उनमें ‘ऐं’ जोड़ देते हैं जैसे-
- अबला-अबलाएँ
- विद्या-विद्याएँ
- महिला-महिलाएँ
- माला-मालाएँ
- घटना-घटनाएँ
- धातु-धातुएँ
- दुआ-दुआएँ
- सभा-सभाएँ
- धाविका-धाविकाएँ
- छात्रा-छात्राएँ
- यात्रा-यात्राएँ
- बधू-बधुएँ
- माता-माताएँ
- शिला-शिलाएँ
- लता-लताएँ
यदि स्त्रीलिंग शब्द के अंत में इ / ई / इया तो इन तीनों के स्थान पर ‘इयाँ’ हो जाता है। जैसे-
- भक्ति-भक्तियाँ
- समाधि-समाधियाँ
- जाति-जातियाँ
- शक्ति-शक्तियाँ
- बुढिया-बुढियाँ
- गुडिया-गुड़ियाँ
- गति-गतियाँ
- तिथि-तिथियाँ
- सिद्धि-सिद्धियाँ
- जाली-जालियाँ
- नानी-नानियाँ
- रोटी-रोटियाँ
- मुर्गी-मुर्गियाँ
- सखी-सखियाँ
- रानी-रानियाँ
- चढ़ाई-चढ़ाइयाँ
- कठिनाई-कठिनाइयाँ
- छतरी-छतरियाँ
- लड़ाई-लड़ाइयाँ
- दादी-दादियाँ
- लडकी-लडकियाँ
- बच्ची-बच्चियाँ
- नारी-नारियाँ
- नीति-नीतियाँ
- दासी-दासियाँ
- कली-कलियाँ
- बत्ती-बत्तियाँ
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कुछ अकारांत शब्दों में ‘ओं’ जोड़कर, जैसे-
- बादल-बादलों
- चोर-चोरों
- जानवर-जानवरों
- फसल-फसलों
- कबूतर-कबूतरों
- पैर-पैरों
- फूल-फूलों
- कमल-कमलों
कुछ अकारांत शब्दों के अंत में ‘ओं’ जोड़कर, जैसे-
- छात्रा-छात्राओं
- चिंता-चिंताओं
- माता-माताओं
- कला-कलाओं
- सखा-सखाओं
- रास्ता-रास्तों
- यात्रा-यात्राओं
- मामा-मामाओं
- दिशा-दिशाओं
- कमरा-कमरों
यदि शब्द के अंत में ‘इ’ या ‘ई’ हो तो इन्हें ‘इ’ में बदल कर ‘यों’ जोड़ देते हैं। जैसे-
- विधि-विधियों
- मुर्गी-मुर्गियों
- निधि-निधियों
- दासी-दसियों
- जाति-जातियों
- रीती-रीतियों
कुछ शब्दों के अंत में आये हुए दीर्घ स्वर को हस्व स्वर कर देते हैं और शब्द के अंत में ‘ओं’ जोड़ देते हैं। जैसे-
- धेनु-धेनुओं
- लड्डू-लड्डुओं
- कद्दू-कद्दुओं
- गुरु-गुरुओं
- साधु-साधुओं
- बहु-बहुओं
कुछ महत्त्वपूर्ण बातें-
- कुछ शब्दों का प्रयोग हमेशा एकवचन में किया जाता है, ऐसे शब्दों को नित्य एकवचन कहते हैं; जैसे-पानी, शहद, घी, दूध, चाय, जनता, भीड़ आदि।
- कुछ शब्दों का प्रयोग हमेशा बहुवचन में किया जाता है, ऐसे शब्दों को नित्य बहुवचन कहते हैं; जैसे-आँसू, बाल, दर्शन, हस्ताक्षर, भाग्य, प्राण, होश, लोग आदि।
- आदर व सम्मान प्रकट करने के लिए एकवचन के साथ बहुवचन की क्रिया प्रयोग की जाती है। जैसे अध्यापिका पढ़ा रही हैं। माता जी बाज़ार गई हैं।
- ‘प्रत्येक’ व ‘हर’ शब्दों का प्रयोग एकवचन में होता है; जैसे – न्याय प्रत्येक व्यक्ति को मिलना चाहिए। हमारे घर में हर मनुष्य अच्छा है।
विडियो में सीखे – Vachan kise kahate hain
आपने क्या सिखा
इस आर्टिकल में आपने पढ़ा की वचन (Vachan kise kahate hain) , हमें उम्मीद है कि आपको यह जरुर समझ आया होगा कि Vachan kise kahate hain. इसी तरह के और आर्टिकल पढने के लिए हमारे WhatsApp Broadcast Group से जुड़ें, इस लेख के बारे में अपने विचार जरुर कमेंट करें।