जयशंकर प्रसाद || jaishankar prasad ka jivan parichay

नमस्कार दोस्तों इस आर्टिकल में हम हिंदी साहित्यकार जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय (Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay) पढेंगे।

इनसे पहले हम सूरदास, तुलसीदास, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, डॉ राजेंद्र प्रसादपदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय पढ़ चुके हैं। तो चलिए विस्तार से पढ़ते हैं “Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay” –

जयशंकर प्रसाद का संक्षिप्त जीवन परिचय || Sort Biography of Jaishankar Prasad

नामजयशंकर प्रसाद
जन्मकाशी – 1889 ई.
पिता का नामदेवीप्रसाद
विधाकाव्य, कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध
मृत्यु15 नवम्बर – 1937
भाषाविचारात्मक, अनुसंधानात्मक, भावात्मक, चित्रात्मक

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय || Jaishankar Prasad Ka Jivan Parichay

जीवन परिचय- हिन्दी-साहित्य के महान् कवि, नाटककार कहानीकार एवं निबन्धकार श्री जयशंकर प्रसाद जी का जन्म सन् 1889 ई० में काशी के प्रसिद्ध सुंघनी साहू’ परिवार में हुआ था।

इनके पिता बाबू देवीप्रसाद काशी के प्रतिष्ठित और धनाढ्य व्यक्ति थे। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई तथा स्वाध्याय से ही इन्होंने अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू और फारसी का श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त किया और साथ ही वेद, पुराण, इतिहास, दर्शन आदि का भी गहन अध्ययन किया।

माता-पिता तथा बड़े भाई की मृत्यु हो जाने पर इन्होंने व्यवसाय और परिवार का उत्तरदायित्व सँभाला ही था कि युवावस्था के पूर्व ही भाभी और एक के बाद दूसरी पत्नी की मृत्यु से इनके ऊपर विपत्तियों का पहाड़ ही टूट पड़ा।

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय || jaishankar prasad ka jivan parichay

फलतः वैभव के पालने में झूलता इनका परिवार ऋण के बोझ से दब गया। इनको विषम परिस्थितियों से जीवन-भर संघर्ष करना पड़ा, लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी और निरन्तर साहित्य-सेवा में लगे रहे।

क्रमश: प्रसाद जी का शरीर चिन्ताओं से जर्जर होता गया और अन्ततः ये क्षय रोग से ग्रस्त हो गये। 14 नवम्बर, सन् 1937 ई० को केवल 48 वर्ष की आयु में हिन्दी साहित्याकाश में रिक्तता उत्पन्न करते हुए इन्होंने इस संसार से विदा ली।

जयशंकर प्रसाद कि रचनाएँ

जयशंकर प्रसाद जी ने काव्य, कहानी, उपन्यास, नाटक आदि विधाओं पर अपनी लेख लिखी है। कामायनी’ जैसे विश्वस्तरीय महाकाव्य की रचना करके प्रसाद जी ने हिन्दी साहित्य को अमर कर दिया।

कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में भी उन्होंने कई अद्वितीय रचनाओं का सृजन किया। नाटक के क्षेत्र में उनके अभिनव योगदान के फलस्वरूप नाटक विधा में ‘प्रसाद युग’ का सूत्रपात हुआ।

विषय-वस्तु एवं शिल्प की दृष्टि से उन्होंने नाटकों को नवीन दिशा दी। भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीय भावना, भारत के अतीतकालीन गौरव आदि पर आधारित ‘चन्द्रगुप्त’, ‘स्कन्दगुप्त’ और ‘ध्रुवस्वामिनी जैसे प्रसाद रचित नाटक विश्व स्तर के साहित्य में अपना बेजोड़ स्थान रखते हैं। काव्य के क्षेत्र में वे छायावादी काव्यधारा के प्रवर्तक कवि थे।

जयशंकर प्रसाद की कुछ प्रमुख कृतियाँ निम्नलिखित हैं-

काव्य आँसू, कामायनी, चित्राधार, लहर और झरना
कहानी आँधी, इन्द्रजाल, छाया, प्रतिध्वनि आदि
उपन्यास तितली, कंकाल और इरावती
नाटक सज्जन, कल्याणी – परिणय, चन्द्रगुप्त, स्कन्दगुप्त, अजातशत्रु, प्रायश्चित, जनमेजय का नागयज्ञ, विशाखा, ध्रुवस्वामिनी आदि
निबन्ध काव्य – कला एवं अन्य निबन्ध

jaishankar prasad ka jivan parichay

भाषा शैली –

प्रसाद जी की भाषा में संस्कृत के तत्सम शब्दों की बहुलता है। भावमयता उनकी भाषा की प्रमुख विशेषता है। इनकी भाषा में मुहावरों, लोकोक्तियों तथा विदेशी शब्दों का प्रयोग न के बराबर हुआ है।

प्रसाद जी ने विचारात्मक, चित्रात्मक, भावात्मक, अनुसन्धानात्मक तथा इतिवृत्तात्मक शैली का प्रयोग किया है।

हिन्दी साहित्य में स्थान

युग प्रवर्तक साहित्यकार जयशंकर प्रसाद ने गद्य और काव्य दोनों ही विधाओं में रचना करके हिन्दी साहित्य को अत्यन्त समृद्ध किया है। ‘कामायनी महाकाव्य उनकी कालजयी कृति है, जो आधुनिक काल की सर्वश्रेष्ठ रचना कही जा सकती है।

अपनी अनुभूति और गहन चिन्तन को उन्होंने साहित्य की विभिन्न विधाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है। हिन्दी साहित्य में जयशंकर प्रसाद का स्थान सर्वोपरि है।

Conclusion & Disclaimer:

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1 thought on “जयशंकर प्रसाद || jaishankar prasad ka jivan parichay”

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    OM Sai Nath , Baba Sabha Bhala Kare

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